मत्स्य उत्पादन बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक टीम पहुंची बिलासपुर - सतपाल मैहता
बिलासपुर। निदेशक एवं प्रारक्षी मत्स्य विभाग सतपाल मैहता ने जानकारी देते हुए बताया कि हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में मानव निर्मित गोबिंदसागर जलाश्य में मत्स्य उत्पादन को कैसे बढ़ाया जाए इस पर वैज्ञानिक अध्ययन करने के उद्वेश्य से वैज्ञानिकों की एक टीम डॉ. सलीम सुल्तान, पशुपालन, डेयरी व मत्स्य पालन विभाग, नई दिल्ली के नेतृत्व में दो दिवसीय दौरे पर मत्स्य निदेशालय बिलासपुर पहुंची है। टीम में डॉ यू के सरकार प्रभारी जलाश्य, वैटलैंड मत्स्य प्रभाग आईसीएआर सिफरी बैरकपुर कोलकाता, तथा डॉ मिशाल पी आईसीएआर सिफरी बैरकपुर कोलकाता शमिल है।
निदेशक एवं प्रारक्षी मत्स्य सतपाल मैहता ने टीम के साथ गोबिंदसागर जलाश्य से घटते मत्स्य उत्पादन को बढाने के उपायों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मत्स्य उत्पादन के घटने का जो मुख्य कारण विभाग के सामने आया है उसमें मूलत: नवनिर्मित कोल बांध जलाश्य से अकारण पानी का छोडना, अवैध खनन के कारण उसका मलवा जलाश्य व उसकी सहायक नदियों में डालने से मत्स्य धन के प्रजनन स्थलों का प्रभावित होना मुख्य कारण माने गये हैं।
विभाग द्वारा दर्शाई गई कमियों के मध्यनजर सिफरी के वैज्ञानिक डॉ यू के सरकार ने सुझाया कि इस जलाश्य से सम्बंधित मछली का पूरा ब्यौरा प्रजाति व उसके भार से सम्बंधित विभाग को उपलब्ध करवाना होगा तथा समाप्त हो रहे मछली प्रजनन स्थलों को पुर्नजीवित करना भी होगा। इसके अतिरिक्त मत्स्य बीज संग्रहण की 70 एम एम आकार से कम की मछली का बच्चा संग्रहित न किया जाए।
मैहता ने मछुआरों को आ रही अन्य कठिनाईयों का उल्लेख करते हुए कहा कि विभाग का मुख्य उद्वेश्य उनके मछुआरों को लंबे समय तक मछली उपलब्ध करवाना तो है ही परंतु निरंतर मछली की उपलब्धता भी विभाग का वास्तविक उद्वेश्य है। इसके लिए मछली पकडऩे की विधि तथा उसके लिए अपनाए जा रहे उपकरणों के प्रयोग हेतु विभाग के अधिकारियों को आवश्यक प्रशिक्षण दिलवाया जाना जरूरी है ताकि अधिकारी धरातल पर मछुआरों को इन उपायों से अवगत करवा सकें। इसके लिए उन्होंने मत्स्य कृषि अनुसंधान संस्थान कोलकाता के वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे ऐसे प्रशिक्षण की व्यवस्था करें ताकि सही अर्थों में मछुआरों को आधुनिक तरीके से मछली पकडने से अवगत करवाया जा सके।
वैज्ञानिकों ने अपने दूसरे दिन के प्रवास पर भाखडा मत्स्य अवतारण केन्द्र का प्रवास किया। मैहता ने कहा कि मत्स्य कृषि अनुसंधान संस्थान कोलकाता के वैज्ञानिकों ने एक माह के भीतर गोबिंदसागर से जुडे इस अध्ययन की योजना तैयार कर विभाग को उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया है। संस्थान द्वारा एक वर्ष के भीतर अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का लक्ष्य रखा है ताकि अनुसंधान अनुसार मत्स्य उत्पादन बढाने के तरीकों को अपनाकर उत्पादन बढाया जा सके।