Sunday, November 24, 2024

West Bengal

उप-राष्ट्रपति ने शिक्षक दिवस पर देश के 45 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2017 प्रदान किए

September 09, 2018 12:48 AM

उप-राष्ट्रपति ने शिक्षक दिवस पर देश के 45 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2017 प्रदान किए

आज शिक्षक दिवस के अवसर पर अभिनव शिक्षण पद्धति, सूचना प्रोद्योगिकी के इस्तेमाल, रचनात्मक शिक्षण, समुदायों को प्रेरित करने और नागरिक भावना को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षकों को पुरस्कृत किया गया-श्री प्रकाश जावड़ेकर

  उप-राष्ट्रपति श्री एम वैकेंया नायडू ने आज यहां शिक्षक दिवस पर देश के 45 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2017 प्रदान किए। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री उपेन्द्र कुशवाहा सहित अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षक राष्ट्रीय विकास के प्रमुख कर्णधार हैं। उन्होंने कहा कि आप शिक्षकों की बदौलत हमारी शिक्षा प्रणाली स्थिर गति से उत्कृष्टता की ऊंचाईयों तक बढ़ रही है। आपके शानदार योगदान को मानते हुए सरकार न सिर्फ आपको मान्यता देती है बल्कि आपको प्रतिबद्धता, उत्कृष्टता और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक समझती है।

उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि दुनिया के सभी देश भारत को विश्व गुरु मानते हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान और विद्या के क्षेत्र में हमारा योगदान हजारों वर्ष पुराना है। बहरहाल, आज बच्चों, युवाओं और वयस्कों को बेहतर शिक्षा प्रदान करना हमारे लिए एक चुनौती है।

उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि प्रयोग द्वारा सीखना सबसे अच्छा तरीका होता है। उन्होंने कंफ्यूशियस का उद्धरण दिया जिसमें कंफ्यूशियस ने कहा था, मैं सुनता हूं और भूल जाता हूं। मैं देखता हूं और याद रखता हूं। मैं करता हूं और समझ जाता हूं। श्री नायडू ने कहा कि हमें गुरुदेव टैगोर, श्री अरबिन्द और महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर चलना चाहिए, जो गतिविधियों के जरिए शिक्षण पर बल देते थे। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने शिक्षा के संबंध में नई तालीम नामक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत किया था, जिसके तहत गतिविधियों के जरिए शिक्षा प्रदान करने पर बल दिया गया था।

उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि शिक्षण अत्यंत सम्मानीय पेशा है और शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने का उद्देश्य शिक्षकों को राष्ट्र विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित करना है। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हमने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार की चयन प्रक्रिया में बदलाव किया है। इस वर्ष अभिनव शिक्षण पद्धतिसूचना प्रोद्योगिकी के इस्तेमालरचनात्मक शिक्षणसमुदायों को प्रेरित करने और नागरिक भावना को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षकों को चुना गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को सिफारिशों पर नहीं, बल्कि उनके प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कृत किया गया है।

श्री जावड़ेकर ने कहा कि शिक्षा प्रणाली के ढांचे को बदलने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अनेक कदम उठाये हैं। उन्होंने बताया कि शिक्षा सुधारों को प्रोत्साहित करने के लिए मंत्रालय ने स्वयं, दीक्षा और शगुन जैसे विभिन्न प्लेटफार्म विकसित किये हैं। उन्होंने कहा कि 14 लाख से अधिक शिक्षकों ने डी.एल.एड पाठ्यक्रम के लिए आवेदन किया है, जो मंत्रालय की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसके अलावा समग्र शिक्षा अभियान के तहत धनराशि में भी इजाफा किया गया है। उन्होंने पुरस्कार विजेताओं को उनकी अमूल्य सेवाओं के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के इस सम्मान से भविष्य में अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी।

मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री उपेन्द्र कुशवाहा ने विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि शिक्षक परिवर्तन के वास्तविक कारक हैं और उन पर राष्ट्र विकास की बड़ी जिम्मेदारी है।

स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव श्रीमती रीना रे ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। समारोह के अंत में केन्द्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय संगठन के शिक्षकों ने गीत प्रस्तुत किए।

पुरस्कारों में रजत पदक, प्रमाणपत्र और 50 हजार रुपये पुरस्कार राशि शामिल है।

इस वर्ष मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2017 की चयन प्रक्रिया में सुधार किया था। अब सभी नियमित शिक्षक पुरस्कार के योग्य होंगे और इसके लिए कोई न्यूनतम सेवा शर्त शामिल नहीं होगी। इसके पूर्व उन्हीं शिक्षकों को पुरस्कार के योग्य माना जाता था, जिनके पास न्यूनतम 15 वर्ष का सेवा अनुभव हो। अब प्रतिभाशाली युवा शिक्षक भी पुरस्कार प्राप्त करने के योग्य हो गये हैं। नई व्यवस्था में सभी शिक्षक सीधे आवेदन कर सकते हैं और खुद को नामित कर सकते हैं। पूर्व में यह व्यवस्था मौजूद नहीं थी।

देशभर से कुल 6692 आवेदन प्राप्त हुए थे। पुरस्कारों की संख्या को 45 तक निश्चित किया गया। यह कदम पुरस्कारों की प्रतिष्ठा को बहाल करने के लिए उठाया गया। पहले 300 से अधिक पुरस्कार दिए जाते थे।

अंतिम चयन स्वतंत्र निर्णायक मंडल द्वारा किया गया। इसके लिए उन शिक्षकों को चुना गया, जिन्होंने अपने काम में अभिनव प्रयोग किए और छात्रों को प्रेरित किया। इन शिक्षकों ने निर्णायक मंडल के समक्ष अगस्त के तीसरे सप्ताह में प्रस्तुतिकरण दिया था। सभी शिक्षकों को यह अवसर दिया गया कि वे निर्णायक मंडल के सामने अपने योगदान पेश कर सकें।

Have something to say? Post your comment